सिपेट भारत सरकार की तरफ से चलाया जाने वाला एक टेक्निकल इंस्टिट्यूट है जिसका मकसद प्लास्टिक के फील्ड में टेक्निकल नॉलेज देना है
सिपेट की स्थापना 70 के दशक में भारत सरकार द्वारा प्लास्टिक के बढ़ते यूज को देखते हुए किया गया
जैसा कि आप देख सकते हैं हर दिन प्लास्टिक का यूज़ बढ़ता ही जा रहा है हर जगह प्लास्टिक का यूज़ होता है
यह संस्था भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल और फर्टिलाइजर्स के अंदर आता है
सिपेट केवल प्लास्टिक से जुड़ा टेक्निकल नॉलेज देने के लिए भारत सरकार के द्वारा चलाए जाने वाला एक टेक्निकल इंस्टिट्यूट है
इसमें आपको प्लास्टिक से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर ज्ञान दिया जाता है
प्लास्टिक के बारे में आपको सारी जानकारी दी जाती है जैसे कि प्लास्टिक की एटॉमिक संरचना क्या होती है, प्लास्टिक को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है, प्लास्टिक को कैसे इनफॉर्मेंट फ्रेंडली बनाया जा सकता है
आपको सिपेट में प्लास्टिक से जुड़े टॉपिक्स पर इस ढंग से पढ़ाया जाता है ताकि आप प्लास्टिक से रिलेटेड कोई भी जॉब किसी भी कंपनी में कर सकें या फिर अपना खुद का भी बिजनेस शुरू कर सकें
अभी सी पेट के कुल 32 ब्रांच इंडिया में चल रहे हैं और सिपेट का हेड ऑफिस चेन्नई गिडी में है
सिपेट के अंदर बहुत सारे कोर्स चलते हैं जिनको अगर हम कैटिगरी वाइज डिवाइड करें तो निम्न कैटेगरी में बांट सकते हैं-
- स्किल डेवेलोपमेंट
- डिप्लोमा इन प्लास्टिक
- प्लास्टिक इंजीनियरिंग
- ऍम टेक इन प्लास्टिक
स्किल डेवलपमेंट के तहत आठवीं पास स्टूडेंट्स को प्लास्टिक से जुड़ा बेसिक स्किल्स सी खिलाया जाता है जैसे कि अलग-अलग तरह के मशीन पर काम करना
यह कोर्स बहुत सारे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है इस कोर्स को करने के बाद लोगों को बहुत सारे टेक्निकल पोजीशन में काम करने का मौका मिल जाता है
डिप्लोमा इन प्लास्टिक इंजीनियरिंग कोर्स कोई भी स्टूडेंट दसवीं पास करने के बाद या 12वीं पास करने के बाद भी कर सकता है इस टेक्निकल कोर्स के अंतर्गत प्लास्टिक से जुड़ा बेसिक मगर जरूरी सारे सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं
इस कोर्स को करने के बाद प्लास्टिक के फील्ड में जूनियर इंजीनियर के जो भी पोस्ट होते हैं उसके लिए स्टूडेंट एलिजिबल हो जाते हैं
प्लास्टिक इंजीनियरिंग कोर्स प्लास्टिक के फील्ड में किया जाने वाला इंजीनियरिंग कोर्स है इसके तहत अलग-अलग तरह के स्पेशलाइजेशन भी होते हैं